डॉ. सुपर्णा मुखर्जी
1.
कुकुर कथा
अगले जनम मोहे ठाकुर जी
देसी कुकुर रूप न दीजो
अगर बनाओगे मोहे देसी कुकुर
प्रजनन क्षमता न दीजो
सही न जाए ये अपमान ठाकुर जी
कि नाम कुकुर ही बन गया है गाली
अगले जनम यह नाम, यह रूप न दीजो
जो लगे तुमको जरूरी कुकुर ही बनाना
तो विदेसी रूप-रंग,
चाल-ढाल का
Dogy
बना दीजो
जिसको गोद में लेकर लोगबाग भूल जात हौ
सबहीं दुःख, माता-पिता, खुद के बचवन
मोहे अइसन नसीब दीजो
एक ही विनती ठाकुर जी मोरे
मोहे देसी कुकुर न कीजो
Sit,
Stand, Sleep, Eat
अंग्रेजी हम सिख लेबो
ग्लूटेन फ्री भोजन खाकर
Walk
पर जाकर हम खुद को स्मार्ट बना लेबो
ई जनम प्लास्टिक और कचड़ा खाकर
पेट-पीठ पीरावत हौ ठाकुर जी
जनावर जात की ही जीवन है संकट में
ऊपर से ई देसी कुकुर रूप
सरकार के मन न भावत हौ
अब इस रूप से मोरे ठाकुर जी
मोहे मुक्ति दीजो
***
2. देशभक्ति
यह देशभक्ति, यह जोश
केवल फेसबुक पर सिमट कर न रह जाएँ
दिख जाएँ कहीं कोई शाख सूखता हुआ
तो देश का समझकर
उसे पानी दे दिया जाए।
कलमा क्यों पढ़ने को कहा?
यह प्रश्न दोहराया न जाए।
गीता के कितने श्लोक याद हैं
आत्ममंथन की यह बेला अब शुरू हो जाए।
है खुद की भी गलती उसमें सुधार आए
जल,स्थल, वायु हो पर्यावरण मुक्त
यह भी है देशभक्ति,
बच्चे - बच्चे को समझ आए।
स्त्री शक्ति जब आसमान पर छा गई है
तो ज़मीन पर क्यों उसकी आत्मा होती है लहुलुहान
इस प्रश्न का अब उत्तर आए
यह देशभक्ति, यह जोश
केवल फेसबुक पर सिमट कर न रह जाएँ।
***
डॉ. सुपर्णा मुखर्जी
सहायक प्राध्यापक
भाषा विभाग
भवंस विवेकानंद कॉलेज
सैनिकपुरी केंद्र
हैदराबाद – 500094
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