चाय
की चुस्की में जीवन का सार
अश्विन
शर्मा ‘अन्ना’
बैठे
हो तुम और मैं,
हाथों
में चाय का प्याला,
भोर
की मंद किरणों संग
मन
में उमंगों का उजाला।
भाप
उठे कप से जैसे,
सपने
फिर से सज जाएँ,
थोड़ी-सी मुस्कान तुम्हारी,
दिन
का हर रंग खिल जाए।
चाय
की मिठास में घुल जाए,
कुछ
अनकही बातों का रस,
हर
घूँट में महसूस हो,
सुकून
का अनमोल स्पर्श।
थकावट,
उदासी, सब छूट जाएँ,
इन
पलों का हो ऐसा जादू,
तुम्हारा
साथ,
चाय का स्वाद—
जीवन
का बन जाए आधार।
बैठे
रहें यूँ घंटों तक,
बस
इस पल का लुत्फ उठाएँ,
चाय
की चुस्की और संग तुम्हारा,
जिंदगी
के गीत गुनगुनाएँ।
अश्विन
शर्मा ‘अन्ना’
बेंगलुरू
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