शनिवार, 30 अगस्त 2025

नवगीत रूपांतर (टैगोर की रचना का)

 


मेघ ऊपर मेघ छाये, अंधकार घिर घिर आये

सुरेश चौधरी

द्वार  पर  बैठा  अकेले

नाथ खेल तू क्या खेले

व्यस्त रहा कार्यभार से

थका रहा भीड़ भाड़ से

मेघ ऊपर मेघ छाये, अंधकार घिर घिर आये

 

परन्तु बैठा आज प्रभो

लेकर  तेरी आस अहो

एकांत  का  सदा प्रेमी

शांत  चित्त   योगक्षेमी

मेघ ऊपर मेघ छाये, अंधकार घिर घिर आये

 

करके  तिरस्कार   मेरा

न होगा यदि दरस तेरा

काले  बादल  की बेला

क्यूँ  कटेगा जीवन रैला

मेघ ऊपर मेघ छाये, अंधकार घिर घिर आये

 

दूर तलक नयन  पसारे

केवल  मुझे  थका हारे

भयावह पवन के झोंके

देख   प्राण   मेरे   रोते

मेघ ऊपर मेघ छाये, अंधकार घिर घिर आये

 


सुरेश चौधरी

एकता हिबिसकस

56 क्रिस्टोफर रोड

कोलकाता 700046

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें