शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

विचार स्तवक

 



डॉ. अशोक गिरि

1

भाषा केवल वार्तालाप का माध्यम ही नहीं, अपितु यह संस्कृति का मुख्य अवयव होती है।

2

सरल एवं सहज भाव से सृजित साहित्य ही जनप्रिय होता है।

3

भारतीय औद्योगिक विकास में हिन्दीसम्पर्क भाषा के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है।

4

हिन्दी का विकास सप्ताह, पखवाड़ा या माह मनाने से नहीं, अपितु उसकी विकास यात्रा में आए अवरोधों को दूर करने से होगा ।

5

यदि हम हिन्दी का प्रचार- प्रसार करना चाहते हैं, तो हमें अपने साहित्यसृजन में सरल शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।

6

हिन्दी और उसकी बोलियों के बीच में दीवार ना बनाएँ, बोलियाँ भाषा रूपी वृक्ष की शाखाएँ होती हैं।

7

हिन्दी केवल एक मातृभाषा, राजभाषा, राज्यभाषा एवं सम्पर्क भाषा ही नहीं, अपितु यह हमारी संस्कृति की अमूल्य अस्मिता है।

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डॉ. अशोक गिरि

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