डॉ. अशोक गिरि
1
भाषा केवल वार्तालाप का माध्यम ही नहीं, अपितु यह संस्कृति का मुख्य अवयव होती है।
2
सरल एवं सहज भाव से सृजित साहित्य ही जनप्रिय होता है।
3
भारतीय औद्योगिक विकास में ‘हिन्दी’ सम्पर्क भाषा के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती
है।
4
हिन्दी का विकास सप्ताह, पखवाड़ा या माह मनाने से नहीं,
अपितु उसकी विकास यात्रा में आए अवरोधों को दूर करने से
होगा ।
5
यदि हम हिन्दी का प्रचार- प्रसार करना चाहते हैं,
तो हमें अपने साहित्यसृजन में सरल शब्दों का प्रयोग करना
चाहिए।
6
हिन्दी और उसकी बोलियों के बीच में दीवार ना बनाएँ,
बोलियाँ भाषा रूपी वृक्ष की शाखाएँ होती हैं।
7
हिन्दी केवल एक मातृभाषा, राजभाषा, राज्यभाषा एवं सम्पर्क भाषा ही नहीं,
अपितु यह हमारी संस्कृति की अमूल्य अस्मिता है।
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डॉ. अशोक गिरि
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