सोमवार, 30 सितंबर 2024

लघुकथा


विरासत

गोपाल जी त्रिपाठी

गत वर्ष सर्दियों में गांव का एक गरीब गुजर गया, और अपनी गरीबी की सौगात बड़े बेटे के नाम कर गया । सुना! उसकी तेरही पर मिठाई और खीर बन रही थी,घी में छन-छन जलेबी और पूड़ियाँ छन रही थीं । लोग सहभोज खा रहे थे, और उसके बेटे का यश गा रहे थे । एक पड़ोसी अकेले कुछ बड़बड़ा रहा था, पूछने पर बताया, वह आदमी भूख से मरा था ! आज सुना उसका बेटा सर्द राह सदा के लिए गुज़र गया, और अपने पिता की विरासत बड़े बेटे के नाम कर गया!!


गोपाल जी त्रिपाठी

हिंदी प्रवक्ता कवि और साहित्यकार,

सेंट जेवियर्स स्कूल

सलेमपुर ग्राम पोस्ट-नूनखार,

देवरिया उ०प्र०

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