सुनो मैं गाँधी हूँ
डॉ. अनु मेहता
मैं खिलाफ हूँ गुलामी, शोषण और अन्याय के
मैं लड़ूँगा भी जान से
लेकिन मेरे हथियार किसी धातु के नहीं होंगे।
नहीं उनमें होगा कोई गोला-बारूद
और नहीं होगी उनमें अशांति की आवाज़।
होगी सत्य-अहिंसा और प्रेम की धार
विश्वास, नैतिकता और आस्था का संकल्प
इन साधनों से मैं जंग लड़ूँगा
सबको साथ लेकर चलूँगा,
शायद सबको यह अविश्वसनीय भी लगे
और शायद लगे अकल्पनीय भी
मगर मगर मगर
मैं उन्हीं से जंग लड़ लूँगा
गुलामी, शोषण, अन्याय और असत्य के खिलाफ लड़ूँगा
सबको साथ लेकर जंग लड़ूँगा
दुनिया मानेगी लोहा भारत की संस्कृति का
आगाज होगा अब ऐसी क्रांति का
भारत में स्वराज को आना होगा
फिरंगियों को हर हाल में जाना होगा
मेरा मौन बाहर के शोर से टक्कर लेगा
मेरी प्रार्थना धरती पर अमन कायम करेगी
भारत माता आजादी की साँस भरेगी
भारत रामराज का स्वप्न साकार करेगा
देख लेना
जन-जन भारत माता का जयकार करेगा
मैं हर रुख मोड़ देने वाली हवा हूँ
नहीं कोई आँधी हूँ ।
सुनो मैं गाँधी हूँ।
डॉ.अनु मेहता
प्राचार्य एवं विभागाध्यक्षा,
आणंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीजी स्टडीज इन आर्टस,
आणंद
सुंदर विचार
जवाब देंहटाएंडाॅ. अनु मेहता की भावपूर्ण कविता " सुनो मैं गाँधी हूँ ।" के लिए उन्हें अनेकानेक बधाई ।
जवाब देंहटाएंविभा रश्मि