नीला-जलजात
ज्योत्स्ना
प्रदीप
विभा-
अनोखी पूनम रात।
यमुना-
तट नीला-जलजात ।।
कितना प्यारा
हैं गोपाल ।
कमल हँसे
नैनो के ताल।।
मोरपंख न्यारा शृंगार ।
वंशी
झरती सुर की धार ।।
मोहक प्यारी
वंशी - तान।
राधा करती
मोहन -ध्यान।।
छेड़े
गिरधर जब- जब राग।
राधा
- उर जागे अनुराग।।
दौड़ी
- दौड़ी आती नार ।
कुंजबिहारी से
अभिसार।।
मोहन
- राधा की ये प्रीत।
पावन
उर की पावन रीत।।
देखे राधा जिस भी
ओर।
वंशीधर,
गिरधर, चितचोर !
ज्योत्स्ना
प्रदीप
(देहरादून
)
वाह । बहुत खूब ।
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