वेलेंटाइन डे
बसंत
के आते ही धरा प्रफुल्लित हो बगिया की तरह खिल उठी, चहुँ ओर सुगंधी हवा मदमस्त होकर बहते हुए इन दोनों की प्रीत की कथा
कहने लगी । धरा अपने हरे लहँगे पर पीले-नारंगी फूलों वाली ओढ़नी धारण कर दुल्हन की
तरह सज सँवरकर, अपने साजन बसंत के स्वागत में इठला रही
। अपने प्रेम को जताते हुए भौंरे भी
रंग-बिरंगे फूलों पर मँडरा कर अपना सुरीला नेह गान सुना रहे । एक ओर तरु के प्यार
में पड़ी लता तरु के आलिंगन में मदहोश होती जा रही, तो
दूसरी ओर बसंत के आगमन से ख़ुशी में पगली सरसों फूली नहीं समाई जा रही । बसंत की
आने की खबर सुन कुछ कोमल नवपल्लव हौले से मुस्काते हुए बसंत को देखने की चाह में
नंगी टहनियों से झाँकने लगे । प्रेमानुराग भरे वातावरण को देख आम पर भी बौर खिल
उठे । इन आम की मंजरियों पर बैठ कोयल अपने प्रीत का स्वर सुनाती कहू-कुहू की मीठी
तान में बसंत के आगमन एवं वैभव का गुणगान करते नहीं थकती । बसंत की छुवन से मौसम
गरमाया और उसके नेह ने पहाड़ों की बर्फ़ को भी पिघलाया । प्रकृति की गहन प्रीत को
देखकर वेलेंटाइन का मौसम आया और यूँ लगा जैसे प्रकृति ने जमकर वेलेंटाइन डे मनाया।
1
छुए
बसंत
मना
रही प्रकृति
वेलेंटाइन।
2
हल्दी
है चढ़ी
दुल्हन-सी
निखरी
बासंती
धरा।
वड़ोदरा
👌👌☺
जवाब देंहटाएंHappy वसंत पंचमी...🙂
बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट सामग्री चयन। हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंहल्दी और वसंत एक दूसरे के पर्याय । वाह बहुत अच्छी रचना और वसंती मौसम की सुंदर व्याख्या । आशीर्वाद, पूर्वा ।
जवाब देंहटाएंV for valentine
जवाब देंहटाएंV for Vasant.
वाह, सुंदर हाइबन।बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत हाइबन प्रिय पूर्वा जी,बहुत -बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएं